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Dravidam For India Movement Publications

क्यू हमे एम के स्टालिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पे चाहिये?

क्यू हमे एम के स्टालिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पे चाहिये?

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A BOOK TALKS ABOUT MK STALIN’S LIFE & HIS LEADERSHIP QUALITIES IN HINDI

यह किताब एक स्वपन है जिसे मैं हर किसी के ज़ेहेंन में बिठाना चाहता हूँ । भले ही यह सपना साकार हो या ना हो।

मैंने तथ्यों के अधार पे आकड़ों के साथ और तार्किक रूप से स्टालिन की राष्ट्र के नेता के रुप में परख की है। मेरा मनाना यह है की इस पुस्तक को पढ़ने के जो इच्छुक ना भी है तो उन लोगो के लिये पुस्तिका की मुख्यपृष्ठ ही मेरे विचारो को उनके तक पहुंचाने के लिये काफी है ।

मैं हमेशा से यह सोचता था की जब द्रविड़म की विचारधारा वैश्विक समरसता की है तो फिर यह तमिलनाडु तक ही क्यू सीमित है? यहाँ तक की अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में भी इसका प्रभाव क्यूँ नही है?

भारत आज भी वही हजारो साल पुराने जातिवादी जंजीरो में जकड़ा हुआ है। अत: द्रविड़ का उदय इन बेड़ीयो को तोड़ने के लिये उतना ही अति आवश्यक है जिस तरह से साम्यवाद का उदय पूरी दुनिया को अपने चपेट में लेने वाली विक्राल पूंजीवाद के लिये हुआ।

साम्यवाद और द्रविड़म में बहुत समानताए है। हालाँकि दोनो एक नही है।

द्रविड़म जाति धर्म का अंतर मिटा समानता स्थापित करने में और राज्य स्वायत्तता शक्ति विकेंद्रीकरण एवं संघ स्थापित करने में विश्वास रखता है।

” मनुष्य को एक मच्छ्ली देने पर वो एक दिन का गुजारा कर लेगा परंतु यदि उसे मच्छ्ली पकड़ना सिखाया जाये तो वो पूरी जिंदगी अपना गुजर बसर कर लेगा ” : इसी सुन्दर से कहावत को द्रविड़म ने एक कदम बढ़ा कर और खुबसूरती से तराश दिया : ” उस मनुष्य को तब तक मच्छ्ली देते रहो जब तक की वह मच्छ्ली पकड़ना सीख ना जाये ।
द्रविड़ राज के 50 वर्षो इस चीज़ के प्रत्यक्ष प्रमाण है ।

साम्यवाद और द्रविड्म में यह अंतर है की साम्यवाद पूंजीपतियों से मजदूर वर्ग के लिये उचित मेहनतताना की माँग करता है जिससे की कोई भूखा ना रहे लेकिन द्रविड़म की खास बात यह है की राज्य ही सभी मूलभूत सुविधाओं जैसे की अनाज दवा रोजमर्रा की सामाग्री उप्लब्ध करवाता है क्यूँकी कामदार वर्ग को पूंजीपतियों का मोहताज ना रहना पड़ें।
बच्चों को उनकी मुफ्त शिक्षा के लिये मुफ्त किताबे पोषण और लैपटॉप प्रदान करता हैं ।
इसके साथ पूंजीपतियों को कर माफी कर्ज़ और छुट भी देता है। अत: दोनो ही वर्ग द्रविड़ छत्र छाया में सुरक्षित हैं एवं फलते फूलते है।

अगर भारत में सुपरमैन सपाईडरमैन और आईरनमैन जैसी मिथक कथायें 5000 वर्ष पूर्व सुनाई जाती तो शायद आज उनके अंध भक्त यहाँ मार काट मचा रहे होते ।

हिंदू धर्म भारत में कुछ तीन से पाँच हज़ार साल पहले आया था । मूल निवासी किसी भी धर्म को नही मानते थे वे केवल प्रकृति पूजक थे ।

द्रविड़म स्टालिन द्रमूक अथवा द्रविड़ कड़गम की कोई ज़रूरत नही है अगर :-

क) सभी धर्मों के अनुयायीयो के साथ समान व्यवहार हो ।

ख) जाति कुल रंग आधारित भेदभाव ना हो ।

ग) एक संस्कृति पे दुसरी संस्कृति हावि होने की कोशिश ना करे ।

घ) सबो का मन्दिर में प्रवेश एवं पंडीतारी का अवसर मिले।

ड़) सबो को शिक्षा और रोजगार के समान अवसर प्राप्त हो।

च) अगर कोई एक विशेष समुदाय का अदृश्य आरक्षण या आधिपत्य न हो जो की बहुजनो के हजारों वर्षों के शोषण के बुनियाद पर बसा हो ।

आज द्रविड़ विचारधारा की पूरी देश को जरूरत है और इससे वैमनस्य रखने वाले अपने हरकतों से इसे खुद साबित करते है । अत: हम स्टालिन को भारत के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रुप में प्रस्तावित करते है ।

मै उस राज्य का वासी हूँ जहाँ द्रविड़म ने हासिये पर बैठें कईयो का उत्थान किया है । मैं अपने शिक्षा एवं आर्थिक उत्थान के लिए शीर्ष द्रविड़ नेताओं का कर्ज़दार हूँ । जिन नेताओं ने अपना सुख त्याग अन्त्योदय के लिए निकले ।

बहुत से लोग पुछते है की द्रविड़ दलो ने क्या और कितना किया? उन्हें द्रविड़ दलो द्वारा असमानता के खिलाफ़ लड़ी गयी लंबी युद्ध को नही भूलना चाहिये जिसके फलस्वरूप ही हम आज अपने बोलने के अधिकार एवं ज्ञान का उपयोग कर पा रहे है ।

मै यह किताब वि° स° चुनाव 2021 के शंखनाद से कुछ ही पल पूर्व लिखनी शुरु की है एवं इसका प्रकाशन चुनावी नतिज़े आने के तुरंत बाद किया। मेरी यह दिली इच्छा है की द्रमूक विजयी हो क्युकि मैं इनके सहिष्णुता और समानतावाद का कायल हूँ । यह विजय द्रविड़म इतिहास का नया अध्याय होगा एवं यह स्टालिन के राष्ट्रीय पटल पे उभरने का पहला कदम होगा ।

कथिर •आर• एस
10/05/2021

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